Thursday 25 October 2012

राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स नीति, 2012 स्‍वीकृत

मंत्रिमंडल ने आज राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स नीति, 2012 को स्‍वीकृति प्रदान कर दी। इसका मसौदा पहले लोगों की राय जानने के लिए जारी किया गया था। विभिन्‍न हितधारकों के विचार प्राप्‍त होने के बाद इसे अब अंतिम रूप दे दिया गया है।
भारत दुनिया में इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स के बाजार के रूप में तेजी से बढ़ रहा है। यहां ‘इलेक्‍ट्रॉनिक सिस्‍टम, डिजाइन एंड मेन्‍यूफेक्‍चरिंग (ईएसडीएम)’ क्षेत्र के विकसित होने की अपार क्षमताएं हैं।
आशा की जाती है कि इस नीति से देश में इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स के घरेलू निर्माण का वातावरण तैयार होगा। इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और इस क्षेत्र में रोजगार की अधिक संभावनाएं पैदा होंगी। उम्‍मीद की जाती है कि इस नीति के लागू होने पर 400 अरब डॉलर का कारोबार 20 लाख लोगों को रोजगार देगा।
इस नीति का उद्देश्‍य देश में ऐसा ईएसडीएम क्षेत्र तैयार करना है, ताकि 2020 तक 400 अरब डॉलर का कारोबार हो सके, जिसमें लगभग 100 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा, जिससे विभिन्‍न स्‍तरों पर दो लाख 80 हजार लोगों को रोजगार प्राप्‍त होगा। इसके अलावा इस नीति के तहत ईएसडीएम क्षेत्र में मौजूदा 5.5 अरब डॉलर के निर्यात को 2020 तक 80 अरब डॉलर तक करने का प्रयास किया जाएगा। इस क्षेत्र में कुशल श्रम शक्ति को बढ़ाने का प्रावधान भी किया गया है।
नीति के तहत कच्‍चे माल, इलेक्‍ट्रॉनिक पूर्जों की उपलब्‍धता को भी सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि इनकी घरेलू उपलब्‍धता 20-25 प्रतिशत से बढ़कर 2020 तक 60 प्रतिशत से अधिक हो जाए। नीति के तहत ईएसडीएम में समुचित सुरक्षा प्रणाली भी विकसित की जाएगी। इसके साथ ही रक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, रेलवे, बिजली, दूरसंचार आदि क्षेत्रों के साथ दीर्घकालीन साझेदारी भी की जाएगी।
नीति के तहत इलेक्‍ट्रॉनिक उत्‍पादों को विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा, ताकि ग्रामीण आवश्‍यकताओं सहित सभी घरेलू आवश्‍यकताओं और अंतर्राष्‍ट्रीय आवश्‍यकताओं को सस्‍ती दरों पर उपलब्‍ध कराया जा सके। इसके अलावा ई-कचड़ा प्रबंधन का बंदोबस्‍त भी किया जाएगा।
उपरोक्‍त उद्देश्‍य को प्राप्‍त करने के लिए ईएसडीएम क्षेत्र में जैव-प्रणाली विकसित की जाएगी, निर्यातों को प्रोत्‍साहन दिया जाएगा, मानव संसाधन विकास किया जाएगा, साइबर सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी, ईएसडीएम में अनुसंधान और विकास के लिए वातावरण पैदा किया जाएगा और ई-कचड़े से निपटने के लिए रणनीति बनाई जाएगी।




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